Glory and Vrat Vidhi of Paush Month
5/12/2025
पौषमास माहात्म्य तथा व्रत विधान
पौष मास में धनुकी संक्रांति होती है। अतः इस मासमें भगवतपूजन का विशेष महत्व है । दक्षिण भारत के मंदिरोंमें धनुर मासका उत्सव मनाया जाता है। पौष कृष्ण अष्टमी को श्रद्धा करके ब्राह्मण भोजन कराने से उत्तम फल मिलता है।
पौष कृष्ण एकादशी को उपवासपूर्वक भगवानका पूजन करना चाहिए। यह सफ़ला एकादशी कहलाती है। इस व्रत को करने से सभी कार्य सफल हो जाते हैं । पौषमासकी कृष्ण द्वादशीको सुरूपा द्वादशी व्रत होता है। यदि इसमें पुष्यनक्षत्र का योग हो तो विशेष फलदाई होता है। इस व्रत का प्रचलन गुजरात प्रांतमें विशेष रूप से लक्षित होता है ।सौंदर्य, सुख, संतान और सौभाग्यप्राप्ति के लिए इसका अनुष्ठान किया जाता है। विष्णुधर्मोत्तरपुराणमें आया है कि पौष शुक्ल द्वितीया को आरोग्य प्राप्ति के लिए आरोग्य व्रत किया जाता है इस दिन गोश्रृंगोंदक ( गायों की सींगोंको धोकर लिए हुए जल ) से स्नान करके सफेद वस्त्र धारण कर सूर्यास्त के बादबालेंदु द्वितीया के चंद्रमा का गंध आदि से पूजन करें। जब तक चंद्रमा अस्त ना हो तब तक गुड़ दही परमान खीर और लवण से ब्राह्मणों को संतुष्ट कर केवल गोरस छाछ पीकर जमीन पर शयन करें। इस प्रकार शुक्ल पक्ष की द्वितीया को 1 वर्ष तक चंद्र पूजन करके 12 वे महीने मार्गशीर्ष में इच्छूरस से भरा घड़ा सोना ना और वस्त्र ब्राह्मण को देकर उन्हें भोजन कराने से रोगों की निवृत्ति और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।
पौष शुक्ल सप्तमी को मार्तंडसप्तमी कहते हैं। इस दिन भगवान सूर्य के उद्देश्य से हवन करके गोदान करने से वर्षपर्यंत उत्तम फल प्राप्त होता है।
पौष शुक्ल एकादशी पुत्रदा नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन उपवास से सुलक्षण पुत्र की प्राप्ति होती है। भद्रावती नगरी के राजा बसु केतु ने इस व्रत के अनुष्ठान से सर्वगुण संपन्न पुत्र प्राप्त किया था पोस्ट शुक्ल त्रयोदशी को भगवान के पूजन तथा घृतदान का विशेष महत्व है। माघ मास के स्नान का प्रारंभ पौष की पूर्णिमा से होता है। इस दिन प्रात काल स्नान आदि से निवृत होकर मधुसूदन भगवान को स्नान कराया जाता है। सुंदर वस्त्रों से सुसज्जित किया जाता है उन्हें मुकुट, कुंडल, किरीट, तिलक, हार तथा पुष्पमाला आदि धारण किए जाते हैं। फिर धूप दीप नैवेद्य निवेदित कर आरती उतारी जाती है। पूजन के अनंतर ब्राह्मण भोजन तथा दक्षिण दान का विधान है। केवल इस एक दिन का स्नान सभी वैभव तथा दिव्यलोककी प्राप्ति करने वाला कहा गया है। पौष मास के रविवार को व्रत करके भगवान सूर्य के निमित्त अर्घ्यदान दिया जाता है। तथा एक समय नमकरहित भोजन किया जाता है।
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